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इश्क़ हँसाए,इश्क़ रुलाये | इश्क़ ने क्या क्या दिन है दिखाए ||
इश्क़ का दाना जब भी खाना
थोड़ा सम्भलकर महफ़िल में जाना |
इश्क़ हँसाए इश्क़ रुलाये ,
इश्क़ ने क्या क्या दिन है दिखाए |
इश्क़ का दाना इतना मीठा
दिल का दर्द है इसका ठिकाना |
इश्क़ का दाना.........................(1)
इश्क़ ने कितने दीवाने लुटे इश्क़ में कितने दिल है टूटे सारे जंहा का दर्द है सहकर फिर भी होंठों से मुस्काना इश्क़ का दाना...........................(2)
इश्क़ में कोई जी नही सकता इश्क़ के गम को पी नही सकता इश्क़ की हसरत सबसे अलग है इश्क़ में चलता ना कोई बहाना| इश्क़ का दाना............................(3)
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